मेदरोग (मोटापा)

मेदरोग (मोटापा)

मोटापा (मेदरोग) होने के कारण

बिना परिश्रम के शरीर में चर्बी बढ़ जाती है। दिन में सोने से और कफ करने वाले पदार्थों के सेवन से चर्बी बढ़ती है।

अधिक मीठा खाद्य पदार्थों का सेवन और मीठे रस और घी आदि चिकने पदार्थो के अधिक सेवन से (मेद वृद्धि) मोटापा बढ़ता है।

जैसे-जैसे वसा का निर्माण होता है, नसों के अन्य छिद्र बंद हो जाते हैं, इसलिए शरीर को अन्य धातुओं को कम पोषक तत्व मिलते है या प्राप्त ही नहीं होते हैं। फलस्वरूप शरीर बलहीन हो जाता है।

मेद (मोटापे) का बढने के लक्षण

मोटापे (मेदवृद्धि) के रोगी क्षुद्र नामक श्वसन रोग से पीड़ित होते हैं। ऐसे रोगियों के लक्षणों में प्यास, मोह, अत्यधिक नींद, ग्लानि, भूख न लगना, पसीना आदि लक्षणे शामिल हैं। उसमें ऊर्जा की कमी के कारण, वह यौन गतिविधियों में संलग्न नहीं हो सकता है।

वसा (मेद) का स्थान और कार्य

किसी भी प्राणीओ के पेट में चर्बी रहती है। तो मोटे आदमियों का पेट बढ़ता है और बाहर निकल जाता है। जैसे-जैसे वसा (मेद) का निर्माण होता है, वायुमार्ग अवरुद्ध हो जाता है, इसलिए हवा कुख से बाहर नहीं निकल पाती है और यह जठराग्नि को प्रज्वलित करती है। नतीजतन, खाया हुआ भोजन सूख जाता है इसलिए मेदवृद्धि वाले व्यक्ति द्वारा खाया गया भोजन तुरंत पच जाता है और फिर से खाने की इच्छा होती है।

कुछ समय बाद मोटापे (मेदवृद्धि) से ग्रस्त लोगों में गंभीर विकार विकसित हो जाते हैं। ये विकार वायु और अग्नि पैदा करते हैं।

अत्यधिक चर्बी और मांस पेट, नितंबों और स्तनों को बढ़ाते हैं और वो चलते फिरते हिला करते हैं। अधिक मेद बढ़ जाने पर उस व्यक्ति को मोटा आदमी कहा जाता है। ऐसे व्यक्ति को कुष्ठ, दाद, भगंदर, ज्वर, अतिसार, प्रमेह, बवासीर, श्लीपद, अपच और पीलिया जैसे रोग होने का खतरा रहता है।

प्राइमश्रेड 100% प्राकृतिक संघटक से बना है

प्राइमश्रेड एक हार्डकोर फैट बर्नर है जो आपके लिंग की परवाह किए बिना आपको तेजी से और प्रभावी ढंग से वसा जलाने में मदद करेगा।

प्राइमश्रेड मांस, अंडे, डेयरी उत्पादों और किसी भी अन्य पशु-व्युत्पन्न पदार्थों से 100% मुक्त है।

प्राइमश्रेड सोया, ग्लूटेन और जीएमओ से भी मुक्त है और इसमें बिल्कुल भी कृत्रिम रंग, मिठास या संरक्षक नहीं होते हैं।

प्राइमश्रेड 100% संयुक्त राज्य अमेरिका में एफडीए-अनुमोदित, जीएमपी-प्रमाणित सुविधा में निर्मित है।

बाजार में सबसे लंबी गारंटी।


पुरुषों के लिए सर्वश्रेष्ठ फैट बर्नर और वजन घटाने की खुराक

पुरुषों के लिए सर्वश्रेष्ठ फैट बर्नर और वजन घटाने की खुराक

मेदवृद्धि (मोटापा) का इलाज

मेदवृद्धि के रोगियों को पुराने चावल, मूंग, कुलथी दाल, घी आदि द्रव्य के बिना और बिना पका भोजन, कोदरा आदि का सेवन करना चाहिए। चिंता करनेसे, क्षोभ होने से, क्रोध आने से, उपवास करने से, और कुश्ती करने से, इत्यादि कारणों मोटापा कम करते हैं।

जौ और शहद खाने से, रातमे जागनेसे, और खारे रस का सेवन करने से चर्बी (मेद की वृद्धि) कम होती है।

अरंडी के पत्तों की राख में हींग डालकर खाने और ऊपर से चावल का मंड का सेवन करने से मेदरोग (मेदवृद्धि) नष्ट हो जाता है।

गिलोय और त्रिफला का कवाथ (काढ़ा) बनाकर पीने से मेदरोग दूर हो जाता है।

त्रिफला और गिलोय के कवाथ (काढ़े) में शहद और लोहभस्म मिलाकर सेवन करने से मोटापा दूर होता है।

बासी पानी में शहद मिलाकर रोजाना सुबह पीनेसे मोटापा (मेद रोग) मिट जाता है।

गरमा गरम चने खाकर उपर से चावल का गर्म मंड पीने से मोटापा दूर होता है।

सौंठ, काली मिर्च, चीता, त्रिफला, नागरमोथा और विडंग इन सभी औषधिया को बराबर भागों में लेकर इसका कवाथ (काढ़ा) बना लें और इसमें शुद्ध गूगल डालकर इसका सेवन करने से मेदवृद्धि (मोटापा) से छुटकारा मिल जाता है।

काली मिर्च के चूर्ण को शहद के साथ नियमित रूप से सेवन करने से मेदरोग (मोटापा) और कफ दूर होता है।

धतूरे के पत्तों के रस से शरीर की मालिश करने से मेदरोग (मोटापा) ठीक हो जाता है।


बिना मेहनत के वजन घटाना

100% प्राकृतिक सामग्री से बना

समृद्ध और प्रभावी

कोई साइड इफेक्ट नहीं

परहेज और पुरुषार्थ के बिना

वडवानल रस

शुद्ध पारद, शुद्ध तांबे की भस्म, लोहभस्म और बोल को समान मात्रा में लेके आंक के दूध में खरल करके मिला लें। अच्छी तरह घुटने के बाद 2 रती (0.182 gram) के सामान गोलीया बना लें। इस गोली को वडवानाल रस कहा जाता है।

इस वडवनाल रस की एक गोली शहद और पानी के साथ नियमित रूप से लेने से मेदरोग (मोटापा) ठीक हो जाता है।

अन्य उपाय

जंगली कालीमिर्च, जीरा, सौंठ, काली मिर्च, पिपली, हींग, काला नमक और हरड़ को बराबर मात्रा में लेकर उसका चूर्ण दही के पानी में पीने से मेदरोग का नाश हो जाता है और जठराग्नि प्रदीप्त होती है।

विडंग, सौंठ, जवाखार, लाल फूल वालाचीता, लौहचूर्ण, जौ और आंवला को समान मात्रा में लेकर पीस के चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को शहद के साथ सेवन करने से मोटापा (मेदरोग) ठीक हो जाता है।

वड़बेर के पत्तों का कल्क करके कांजी में शोधित करके पीने से मेदरोग ठीक हो जाता है।

अरणी का रस या इसका काढ़ा (कवाथ) शिलाजीत सहित पीने से मेदरोग (मोटापा) से मुक्ति मिल जाती है।

Zotrim के साथ वजन घटाना आसान है।
100 दिन में वजन घटाने की गारंटी।
वजन कम करने में आपकी मदद करने के लिए चिकित्सकीय रूप से सिद्ध।
सुरक्षित, प्रभावी, वनस्पति-आधारित संघटक पर व्यापक रूप से शोध किया गया और विज्ञानी द्वारा समर्थित किया गया।
लगभग बीस वर्षों से दुनिया भर में हजारों पतलेपन प्राप्त लोग द्वारा भरोसेमंद और चुने गए।


Best Weight Loss Supplement

अमृताध गुगुल

गिलोय का 1 भाग, छोटी इलायची के 2 भाग, इंद्रजौ के 3 भाग, विडंग के 4 भाग, हरड के 5 भाग, बेहड़ा के 6 भाग, आंवले के 7 भाग और गुगुल के 8 भाग लेकर इन सभी का चूर्ण तैयार बना ले।

इस चूर्ण का नाम अमृताध गुगुल है। इस अमृताध गुगुल शहद के साथ चाटने से फुन्सीया, चर्बी (मेद)और भगंदर नष्ट हो जाते हैं।

त्रिफलाध तैल

त्रिफला, अतिविषा, मरोड़फली, निशोथ, चीता, अड़ूसा, नीम, अमलतास, बच, थूहर, हल्दी, दारूहल्दी, गिलोय, इंद्रायन, पिपली, कट, सरसों और सौंठ इन सभी औषधिया लेकर इसका कल्क बना ले।

सरसादी गण के रस में तेल को पका लें यानि कि सभी का रस जल जाने पर तेल सिद्ध हो गया है एसा जानिए।

इस तेल का उपयोग पीने, मालिश करने, कुल्ला करने, नस्य लेने और बस्ती कर्म (गुदा में पिचकारी) इत्यादि के काम में लीया जाता है। इस तेल को त्रिफलाध तैल कहा जाता है।

यह त्रिफलाध तैल मेदरोग (मोटापा), आलस्य, खाज खुजली और कफ के रोगों को नष्ट करता है।

(सरसादी गण: दोनों प्रजातियों की तुलसी, काली मिर्च, काली आंजबलो, विडंग, मरुवा, मुसाकरनी, कायफल, कासौदी, नकछिकनी, दूधी भोपला के पत्ते, भारंगी, कनेर, मकोई, कुलाहल, बकाईन, रोशा घास और जटामांसी इन औषधियों को सरसादी गण कहते हैं- (सरसादी गण  कफ़, वसा (मेद), कृमि, सर्दी, अरुचि, श्वास और खांसी को नाश करता है और व्रण का शोधन करता है)

शरीर से पसीने की दुर्गंध दूर करने का उपचार

अडूसा के पत्तों के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप लगाने से शरीर की दुर्गंध दूर होती है।

बेल के पत्ते के रस में शंख का चूर्ण मिलाकर लेप लगाने से शरीर की दुर्गंध दूर होती है।

बेल के पत्ते का रस या पानी के साथ बेल के पत्ते कूट के शारीर ऊपर मालिश करने से शरीर की दुर्गंध दूर होती है।

नागेसर, सिरस, भोलियाऔर पीला पियाबांसा को बराबर मात्रा में लेकर चूर्ण बनाकर  शरीर पर मलने से त्वचा के दोष और पसीना दूर हो जाता है।

नीम के पत्तों का रस लेकर इसे लगाने से शरीर और बगल की दुर्गंध दूर हो जाती है।

हल्दी को भूनकर शरीर की मालिश करने से शरीर और बगल की दुर्गंध दूर हो जाती है।

पान के पत्ते, हरड की छाल और कट को सामान मात्रा में लेके पानी से के साथ कूट के शारीर ऊपर मालिश करने से शरीर की दुर्गंध दूर होती है।

हरड, भोलिया, नीम के पत्ते, आम के वृक्ष की छाल, और अनार की छाल इन सभी को समान मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बना ले। इस चूर्ण को स्त्री के शरीर पर मालिश करने से पुरुष उसके अंगों की ओर आकर्षित होते हैं। शरीर की कांति बढ़ाता है।

(यह प्रयोग गोमूत्र में कूट के लेप लगाने से कुष्ठ रोग ठीक हो जाता है। गाय के दूधमें  कूट के लेप लगाने से वर्ण निखरता है। पानी में कूट के लेप लगाने से शरीर की दुर्गंध दूर होती है और हल्दी व दारूहल्दी के साथ कूट के लेप लगाने से अन्य वशीभूत होता है।)

कुलाहल को गोमूत्र में कूट के शरीर ऊपर मालिश करने से कुष्ठ रोग दूर हो जाता है।

कुलथी दाल का आटा, कट, जटामांसी, चंदन और भुने हुए चने का आटा बराबर मात्रा में लेकर इसका चूर्ण बनाले और गर्म पानी और तेल के साथ गुंद ले। नियमित रूप से इस औषध को शरीर पर मलने से शरीर की दुर्गंध दूर हो जाती है।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
100% Free SEO Tools - Tool Kits PRO
error: Content is protected !!