गर्भवति के गर्भ की रक्षा हेतु मासिक उपाय
पहला मास
मुलेठी, सागौन के बीज, अश्वगंधा और देवदार लें ये सभी या जो मिल सके इतना औषध लेके इनमे से एक तोला कल्क बनाले और इस कल्क को दुधमे घुला के पिलाए।
दूसरा मास
कठमूली, काले तिल, मंजीठ और शतावरी इन सब या जो मिल सके ये औषध लेके एक तोला कल्क बनाले, ये कल्क को दुधमे मिलाके पिलाए।
तीसरा मास
नीलबदरी, रागी, प्रियंगु, कमल, और अनंतमूल ये सर्वे या जितनी जड़ी-बूटियाँ मिलें, इसका १ तोला कल्क बनाले और दूध में १ तोला कल्क मिला लें और इसे पिलाए।
चौथा मास
धमासा, अनंतमूल (श्वेत और काला ), रास्ना, भारंगी (या कनकाऊवा) और मुलेठी। ये सब या जो मिल सके औषध ले के इनसे कल्क बनाले और १ तोला कल्क दुधमे घुला के पिलाए।
पांचवां मास
बड़ी कटेरी, बंगकटिया, भद्रपर्णी, बांसलोचन (या पांच क्षीरवृक्ष के बिना खुले कोंपल), पांच क्षीरवृक्ष की छाल और घी लें। ये सभी या जितना मिल सके औषध लेके इनमे से १ तोला लुगदी बनाले और इस लुगदी को दुधमे घोल के पिलाए।
छठा मास
चट्टा की घास, बच, सहजन, गोखरू और मुलेठी ये सब या जो भी जड़ी-बूटियाँ पाई जाती हैं इसे ले के उसकी चटनी बनाकर दूध में घुला के पिलाए।
सातवां मास
सिंघाड़ा, कमल कंद, अंगूर, कसेरू, मुलेठी और मिश्री ये सभी या जो उपलब्ध हैं वही औषधी लेके इसका कल्क बना के इस कल्क को दुधमे मिलाकर पिलाए।
आठवाँ मास
कैठ, बड़ी कटेरी, बेल, कटु परवल, गन्ना और बंगकटिया इन सभी जड़ी बूटियों की जड़ें लेना। इस जड़ का उपयोग कर ठंडे पानी से कल्क बनाले।
इस कल्क को ४ तोले पानी से युक्त ३२ तोला दूध में डालकर उबाल लें।
जब पानी का सब भाग जल जाए, जब केवल खाली दूध रह जाए तो उसे ठंडा करके गर्भवती महिला को पिलाएं।
नौवां मास
मुलेठी, (सफेद और काली) अनंतमूल , अश्वगंधा और धमासा। ये सभी औषघी को ले के ठंडा पानी के साथ कूट ले और इनमे से १ तोला कल्क बनाके ४ तोला दूध के साथ घुला के पिलाए।
दसवां मास
सौंठ, मुलेठी, और देवदार को ठंडे पानी के साथ कूट लें और इनमे से १ तोला कल्क बनाके दुधमे मिलाके पिलाए। या
सौंठ और अश्वगंधा का कल्क करें। 32 तोला दूध लें और उसमें 124 तोला पानी डालें और इस कल्क को डालकर आग पर रख दें। दूध को तब तक उबालें जब तक कि पानी जल न जाए और फिर उसे ठंडा करके गर्भवती महिला को दें जिससे भ्रूण की रक्षा हो सके।
ग्यारहवें मास
रायन के फल, कमल, लाजवंती और हरड़ का कल्क करके 124 तोला पानी से युक्त 32 तोला दूध में जोड़ें। जब पानी जल जाए और दूध बच जाए तो इसे ठंडा करके गर्भवती महिला को पिलाएं।
बारहवा मास
मिश्री, कद्दू, अश्वगंधा, पारस पिपल का फल और कमल के डंठल का कल्क बनाके गर्भवती महिला को दूध के साथ पिलाएं, जिससे भ्रूण का पोषण होता है और दर्द शांत होता है।