प्रसव के दौरान होने वाले प्रसव पीड़ा का उपचार
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जब गर्भवती महिला के लिए जन्म देना बहुत मुश्किल हो, तब उसे सांप की काँचली और मैनफल को जलाकर योनि के आसपास उसका धुआँ दें।
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गर्भवती स्त्री के हाथ-पैर में कलिहारी की जड़ को धागे से बांधना।
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हुलहुल की जड़ और पाढ़ल की जड़ को हाथ-पैर में बांधने से स्त्री को सुख पूर्वक प्रसव होता है।
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पोई की जड़ों से कल्क करके उसमें तिल का तेल मिलाकर इस मिश्रण को योनि में लगाने से तुरंत प्रसव होता है।
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पिप्पली और बच दोनों को बराबर मात्रा में लेकर पानी के साथ कूट लें। इस चूर्ण को अरंडी के तेल में अच्छी तरह से मिश्रित करके नाभि पर लगाने से प्रसव सुख पूर्वक होता है।
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गलगल और मुलेठी दोनों की जड़ को कूट लें और इसे घी में पिलाने से स्त्री सुख पूर्वक से जन्म देती है।
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गन्ने का उत्तर दिशा की ओर का मूल ले के गर्भवती महिला की लंबाई बराबर लंबा धागा से उस मूल को गर्भवती की कमर पर बांध ने से तुरंत प्रसव होता है।
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दिए गए मंत्र से स्वच्छ त्राबा के पात्र में स्वच्छ जल भर के 7 बार इस जल को मंत्रित करके ये पानी प्रसूता को पिलाने से तत्काल प्रसव हो जाता है। (मंत्र: मुक्ता: पाशा विपाशाश्व मुक्ता: सूर्यस्य रश्मय: मुक्त:सर्व भायाद्गर्भ एहि माचिर माचिर स्वाहा)
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यदि मोटी दुधी की बेल निकाल कर उसकी गोल कुंडल (अंडे की तरह) करके इसे पानी में भिगोकर पीड़ित मां की नाभि पर रख दिया जाए तो प्रसव तुरंत हो जाता है। लेकिन जैसे ही प्रसव हो जाता है, ध्यान से इसे तुरंत नाभि के उपर से निकालकर अलग कर लें।