गर्भाशय में गांठ – रसौली
बच्चेदानी की गाँठ
यह प्रयोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है जब किसी महिला को गर्भ (भ्रूण थैली) में किसी प्रकार की सूजन, दर्द, गांठ या रसौली हो।
काढ़ा
1 100 ग्राम कचनाल (छाल)
2 100 ग्राम गोखरू
उपरोक्त दोनों औषध को लेकर इसका चूर्ण बना लें। सुबह एक चम्मच पाउडर लें और इसे एक से डेढ़ गिलास सादे पानी में भिगो दें। शाम को इस पानी को धीमी आंच पर उबाल लें।
जब आधा गिलास पानी रह जाए तो उसे कपड़े से छान कर पी लें।
इसी तरह इस चूर्ण को शाम को पानी में भिगोकर सुबह उबाल लें और छान कर इसका सेवन करे। इस काढ़े को दिन में दो बार पीने से धीरे-धीरे अच्छे परिणाम मिलते हैं।
इस प्रयोग को नियमित रूप से डेढ़ से दो महीने तक करने और आहार का पालन करने से इस दर्द से छुटकारा पाया जा सकता है।
परहेज
जिन महिलाओं को गर्भ की थेली में गांठ या रसौली (बच्चेदानी में गाँठ) है उन्हें खट्टे रस और खट्टे खाद्य पदार्थों का सेवन बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। चिकना खाद्य पदार्थों और चिकना भोजन से बचना भी महत्वपूर्ण है।
बहुत पके केले, उरद की दाल, भिंडीआदि के सेवन से बचना चाहिए। साथ ही आइसक्रीम जैसी ठंडी चीजों के साथ-साथ रेफ्रिजरेटेड की चीजों को भी बन सके तब तक न लेने पर जोर दें।
काढ़ा (2)
1 ग्राम दालचीनी
1 ग्राम हल्दी
1 से 1.5 इंच अदरक
एक गिलास पानी में दालचीनी पाउडर, हल्दी पाउडर और पिसी हुई अदरक मिलाएं और इसे 15 से 20 मिनट तक भीगने दें और फिर इसे धीमी आंच पर उबालें।
जब आधा गिलास पानी रह जाए तो उसे उतारकर ठंडा होने दें। ठंडा होने पर छान कर इसका सेवन करें।
इस औषध में स्वाद के अनुसार सिंधालु नमक मिला सकते हैं और स्वाद के अनुसार शहद भी मिला कर सेवन कर सकते हैं।
इस औषध को सुबह नाश्ते के 30 से 40 मिनट बाद लें। लेकिन अगर समस्या ज्यादा से ज्यादा पुरानी है तो इस दवा को सुबह के अलावा रात्रि मे भी रात के खाने के 30 से 40 मिनट बाद लें।
इस औषध को लगभग 30 दिनों तक लगातार और नियमित रूप से लेने से अच्छे परिणाम मिलते हैं। यदि रोग 30 दिनों में पूरी तरह से ठीक नहीं होता है, तो प्रयोग अतिरिक्त 15 से 20 दिनों तक जारी रखा जा सकता है। जिससे यह रोग से पूरी तरह से मुक्त हो सकते है।
परहेज
जब यह औषध चल रहा हो तब तले हुए, तीखा, खट्टे और साथ ही सिर्का वाले खाद्य पदार्थ, ब्रेड आदि से बचें। बहुत गर्म और मसालेदार और साथ ही मांसाहारी भोजन से बचें। बाजारमें बने बनाया तैयार खाना छोड़ दे। कोल्ड ड्रिंक्स, रेफ्रिजेरेटेड की आइटम आदि से परहेज करें।
इस प्रयोग के दौरान पेट को साफ रखना जरूरी है। इसलिए कब्ज न हो ऐसा फाइबर वाले खाद्य पदार्थों के साथ-साथ पौष्टिक भोजन का सेवन करना चाहिए। मानसिक रूप से स्वच्छ, तनाव मुक्त और खुश रहना।
योनी कंद रोग
अगर योनि के अंदर नाखून, दांत या किसी ओर चीज से चोट लग जाती है, तब वात और अन्य दोषों कुपित होकर कंद-मूल जैसी मांस की गांठ पैदा कर देता है। इसे योनि कंद कहा जाता है। ये गांठ मवाद और खून से सनी, कटहल या गूलर के फल के समान होती हैं।
योनी कंद रोग होने का कारण
यह रोग दिन में सोने, बहुत अधिक क्रोधित होने, अधिक परिश्रम करने और बहुत अधिक सेक्स करने से भी होता है। योनि कंद में विभिन्न योनि ट्यूमर और ग्रंथिया शामिल हैं। योनि कंद चार प्रकार के होते हैं।
१ वात्तज योनीकंद
२ पित्तज योनीकंद
३ कफ्फज योनीकंद
४ सन्नीपातज योनिकंद
योनिकंद के प्रकार
ऊपर दिखाए गए रोगों की संक्षिप्त समझ लें।
१ वात्तज योनीकंद:
रुक्ष, विशिष्ट वर्ण का और कड़ा दिखता है।
२ पित्तज योनीकंद:
लाल रंग, गर्म, जलन और दाह युक्त होता है।
३ कफ्फज योनीकंद:
यह नीले रंग का और खुजलीदार होता है।
४ सन्नीपातज योनिकंद:
इसमें वात, पित्त और कफ तीनों के लक्षण होते हैं।
इसकी तुलना आधुनिक समय में वेजिनल पॉलीपस से की जा सकती है।
योनिकंद रोग का उपचार
गेरु, विडंग, आम की गुटली, हल्दी, दारुहल्दी और कायफल ये सभी औषध लेके कूट ले। फिर इसे एक कपड़े से छान लें।
इस तैयार औषधि को शहद में अच्छी तरह मिला के योनि में रखे।
साथ ही त्रिफला (हरड, बहेड़ा, आवला) का काढ़ा बनाकर उसमें शहद मिलाकर उससे योनि की सिंचाई करने से योनीकंद नामक रोग ठीक हो जाता है।
बांझपन महिलाओं के लिए
ईश्वर की अद्भुत रचना नारी है। एक महिला पूर्ण स्त्री तभी कहलाती है जब वह स्त्री तत्व को प्राप्त कर लेती है और उस स्त्री तत्व को प्राप्त करने के लिए उसे माँ बनना आवश्यक माना जाता है। जब कोई महिला माँ बनने में असमर्थ होती है, तो उसे अपनी दुनिया में सबसे बड़ा दुख होता है। इस दर्द से जितना हो सके छुटकारा पाने की कोशिश करनी चाहिए।
इलाज
बीस साल से गर्भस्थ न हुई हो ऐसी महिला का इलाज
गोलिया
- २ रति कस्तूरी
- १ मासा अफीम
- १ मासा केसर
- १ मासा जायफल
- २ मासा भांग का तेल
- ३ पिस सुपारी
- ४ मासा लौंग
ये सभी औषधिया लेके कूट लो और बारीक़ चूर्ण करके छान लो। इसके बाद इस चूर्ण में ४ मासा गुड अच्छी तरह मिलाके मटर जेसी गोलिया बनाले।
मासिक धर्म के बाद गाय के दूध के साथ 1 गोली नियमित रूप से उसी दिन से 3 दिन तक नियमित रूप से सेवन करें।जो महिला 20 वर्ष से गर्भवती नहीं है वह भी गर्भवती हो सकती है।
गर्भाशयकी बंद नस को खोलने के लिए
जब शुक्राणु को गर्भाशय में ले जाने वाली नसें किसी भी कारण से बंद हो जाती हैं, तो गर्भ ठेहरने में और प्रजनन में देरी और बाधाएं होती हैं।
इस समस्या को सर्जरी से तो दूर किया जा सकता है लेकिन इसके लिए शारीरिक समस्याओं से भी जूझना पड़ता है। जहां तक हो सके कोई भी महिला ओपरेशन से दूर रहना चाहती है।
बिना साइड इफेक्ट के कुछ सरल प्रयोग करके इस समस्या को हल किया जा सकता है।
यदि किसी महिला की गर्फैभाशय की नस अवरुद्ध है और उसके लिए गर्भधारण करना मुश्किल है, तो इस उपचार एक मास करने से अवरुद्ध नस खुल जाएगी और उसके लिए बच्चे पैदा करना आसान हो जाएगा।
(१) चूर्ण
सफेद आक की जड़ 100 ग्राम या आवश्यकता अनुसार लेकर बारीक पीस लें और चूर्ण बनाले। इस चूर्ण को १ चम्मच दूध या गुनगुने पानी के साथ नाश्ते के एक घंटे बाद और रात के खाने के एक घंटे बाद लें।
(२) चूर्ण
- १०० ग्राम मेथी
- १०० ग्राम अलसी
- १०० सफेद जीरा
- १०० ग्राम कलौंजी
उपरोक्त सभी जड़ी बूटियों को लेकर बारीक पीस लें और चूर्ण बनाले। इस चूर्ण को 1-1 चम्मच दूध या गुनगुने पानी के साथ भोजन के एक घंटे बाद सुबह-शाम लें। एक महीने के बाद परीक्षण से पता चलेगा कि ये दोनों प्रयोग सटीक रूप से काम करते हैं।
इन प्रयोगों को धैर्यपूर्वक और आहार-विहार के साथ करने से और परहेज में रहने से अच्छे परिणाम प्राप्त होते हैं। एक महीने में परिणाम अवश्य मिलता है, लेकिन हर किसी के शरीर पर इसका अलग-अलग प्रभाव पड़ता है। इसलिए इस औधध को 3 महीने तक आत्मविश्वास से लेने से अच्छा परिणाम प्राप्त किया जा सकता है।
अंडकोष न बनना
आधुनिक समय में रहन-सहन और खान-पान और वातावरण में बदलाव का शरीर पर हानिकारक प्रभाव पड़ रहा है।
इस तरह की अप्राकृतिक और मानवीय उथल-पुथल का हर जीव के शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिसमें पुरुषों और महिलाओं में बांझपन भी शामिल है।
यह बांझपन कई कारणों से संभव है, जिनमें महिलाओं में अंडकोष नहीं बनने की समस्या का समाधान हम देखेंगे।
चूर्ण
1 100 ગ્રામ अर्जुन पेड़ की छाल
2 100 ગ્રામ पीपल पेड़ की छाल
3 100 ગ્રામ बरगद पेड़ की छाल
4 100 ગ્રામ गुल्लर पेड़ की छाल
उपरोक्त चारों जड़ी बूटियों को लेकर बारीक पीसकर चूर्ण बनाले और कपड़े से छान लें। इस हर्बल पाउडर को एक साफ बाउल में डालें। जिन महिलाओं को अंडकोष नहीं बनता हो इस चूर्ण से उन्हें इस समस्या से निश्चित रूप से छुटकारा मिल जाएगा।
एक कड़ाई में एक गिलास गाय का दूध लें और उसमें एक चम्मच पहले से तैयार चूर्णऔर एक चम्मच मिश्री मिलाएं। इस दूध को तब तक उबालें जब तक कि इसमें तीन से चार बार उबाल न आ जाए। जब दूध पीने के लिए पर्याप्त गर्म रह जाए तब बिना छाने पीएं।
इस चूर्ण को सुबह भोजन से एक घंटा पहले या भोजन के एक घंटे बाद लें। इसी तरह इस चूर्ण को रात में भोजन से एक घंटा पहले या भोजन के एक घंटे बाद लिया जाता है।
इस चूर्ण का सेवनसे जिन महिलाओं को अंडकोष न बनते हो उन महिलाओ को बनने लगता है। कुछ महिलाओं में अंडकोष बनते तो है लेकिन गर्भ नहीं रहता है। भले ही यह अंडकोष की संख्या या स्थिति के कारण हो, इस दवा को लेने से अंडकोष की गुणवत्ता और संख्या में सुधार किया जा सकता है। इस समस्या को हल किया जा सकता है।
यह चूर्ण एक महीने में अपना असर दिखाता है। इस चूर्ण का सेवन 3 से 5 महीने तक भी किया जा सकता है। इसका कोई गंभीर साइड इफेक्ट नहीं है।
परहेज
इस चूर्ण के सेवन के दौरान बाहर का बना खाना छोड़ दें। ज्यादा तली हुई, खट्टी, ज्यादा तीखा और मसालेदार चीजों से परहेज करें। फास्ट फूड, मेंदे की चीजें, बासी खाना, ठंडे खाद्य पदार्थ आदि का सेवन न करें।
दिमाग को ठंडा और मन को खुश रखने की कोशिश करना और ऐसा जीवन जीने की कोशिश करना। मानसिक परेशानी घातक हो सकती है इसलिए तनाव मुक्त रहें।
सोम रोग
अत्यधिक संभोग, अत्यधिक दुःख, कड़ी मेहनत और ज़हर के संयोग से महिलाओं के पूरे शरीर का पानी में क्षोभ हो जाता है। सभी अंगों का पानी विस्थापित होकर मूत्रमार्ग में मिल जाता है। इसलिए बार-बार पेशाब आना सोमरोग कहलाता है।
लक्षण
महिला की योनि से ठंडा, गंधहीन, सफेद और दर्द रहित (पानी) मूत्र निकलता है लेकिन महिला में इसे रोकने की शक्ति नहीं होती है इसलिए वह बहुत बेचैन रहती है।
साथ ही पतली होती जाना, सिर का ढीला पड़ना, मुंह और तालू का सूखना, बेहोशी, तन्द्रा और बकवा, त्वचा का रूखा होना और भोजन से संतुष्ट न होना आदि लक्षण होने पर महिला को सोमरोग नामक बीमारी हुई हो एसा जानना चाहिए।
उपचार
पके केले, आवला का रस, मिश्री और शहद को एक साथ लेने से सोमरोग ठीक हो जाता है।
उरद का आटा, मुलेठी, कद्दू, शहद और मिश्री को इकठ्ठा लेके दूध के साथ मिलाकर सुबह-शाम नियमित सेवन करने से सोमरोग ठीक हो जाता है।
मुत्रातिसार का उपचार
लंबे समय तक सोमरोग रहने से महिलाओं में आगे जाके मुत्रातिसार नामक बीमारी हो जाती है। जिसमे वो महिलाओं को बार बार पेशाब करने का कारण बनता है, जिससे महिला की ताकत नष्ट हो जाती है।
चूर्ण
ताड़ की जड़, छुहारा, मुलेठी और कद्दू इन सबका चूर्ण बनाके एस चूर्ण में मिश्री मिलाकर खाने से मुत्रातिसार समाप्त हो जाता है।
शालपर्णी
शालपर्णी की जड़ को पके चावल के पानी के साथ कूट ले फिर उसका सेवन करने से मुत्रातिसार मिटता है।
चूर्ण
सफ़ेद मुसली, ताड़ की जड़, छुहारा, और पके केले लेकर दूध के साथ अच्छी तरह मिलाके सेवन करने से मुत्रातिसार मिट जाता है।
तील
काले तील को चबा चबा के खाने से बहुमुत्रता मिट जाता है।
सफेद धातु का योनि स्राव
कल्क
आंवले के बीजों का कल्क करके उसमें शहद और मिश्री मिलाकर सेवन करने से तीन दिन में सफेद धातु का स्राव बंद हो जाता है।
नागेसर (नागकेसर)
एक कटोरी गाढ़ी छाछ में नागकेसर पिसके तीन दिन तक पीने और छाछ के साथ चावल खाने से सफेद प्रदर दूर हो जाता है।
पाक
कुष्मांड पाक, कसेला पाक, और जीरकावलेह का सेवन करने से भी प्रदर रोग मिट जाता है।