मासिक धर्म संबंधी
मासिक धर्म
महिलाओं को अक्सर मासिक धर्म के दौरान दर्द का अनुभव होता है। साथ ही अक्सर रक्त अधिक बहता है, या कम।
मासिक धर्म कभी-कभी ३ से ५ दिन या उससे कम होता है, या अनियमित रक्तस्राव होता है। अनियमित माहवारी होती है।
गाय का घी
यदि मासिक धर्म के दौरान चिड़चिड़ापन हो तो ऐसी कई समस्याओं में देशी गाय का घी गर्म पानी में डालकर उस पानी का सेवन करें।
पानी को बहुत गर्म रखना, इतना गर्म रखें कि इसे चाय की तरह चुस्की भरके पिया जा सके। इससे मासिक धर्म के दौरान होने वाली सभी परेशानियों से बचा जा सकता है।
इस प्रयोग से मासिक धर्म नियमित आता और जाता है। ज्यादा ब्लीडिंग या कम ब्लीडिंग की समस्या दूर होती है। मासिक धर्म के पहले दिन से ही गर्म पानी का प्रयोग शुरू करें और जब तक मासिक चले तब तक ,आखिरी दिन तक रखे।
ताकीद
१ यह प्रयोग उतने ही दिनों तक करें जितने दिन मासिक धर्म रहता है।
२ गाय का घी न मिले तो भैंस का घी ले किन्तु शुद्ध घी ही लें।
३ इस प्रयोग को दिन में दो से तीन बार करें।
४ पानी को चाय की तरह गर्म रखें।
मासिक धर्म के दौरान पेट दर्द
कई महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान तेज रक्तस्राव और पेट में तेज दर्द का अनुभव होता है। मासिक धर्म के दिनों में होने वाले पेट दर्द का इलाज इस प्रकार करें।
अशोक
अशोक के ५ से ७ पत्ते लें, इसे टुकड़ों में काट कर मिक्सर में डाल कर इसकी चटनी बना लें. अगर पत्ता सूख गया हो तो उसका बारीक चूर्ण बना लें।
इस चटनी या पाउडर एक चम्मच लें और इसे एक गिलास पानी में अच्छी तरह उबाल लें। फिर बिना छाने इस पानी का सेवन करें। यह प्रयोग दिन में एक बार करें।
काढ़ा
१ ५ से ७ तुलसी के पत्ते
२ ३ से ५ पुदीने के पत्ते
३ एक टुकड़ा अदरक
४ एक चम्मच सौंफ
उपरोक्त चार जड़ी-बूटियों को लेकर एक गिलास पानी में अच्छी तरह उबाल लें। फिर इसे एक साफ गिलास में छान लें और पानी पिने लायक गर्म रह जाए तब इसे धीरे-धीरे पीएं ताकि पीरियड्स के दौरान होने वाले पेट दर्द से राहत मिल सके।
मासिक धर्म के दिनों के साथ-साथ जिन महिलाओं को हर बार यह दर्द होता है उन्हें यह प्रयोग एक महीने तक नियमित रूप से करना चाहिए।
जिन महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान पेट में दर्द होता है, वे इस प्रयोग को मासिक धर्म से 4 से 6 दिन पहले शुरू कर सकती हैं।
भोजन से एक घंटा पहले या भोजन के एक घंटे बाद यह प्रयोग दिन में दो बार सुबह और शाम करना है।
अधिकतम खून बहना
कई महिलाओं को मासिक धर्म के दौरान अत्यधिक रक्तस्राव का अनुभव होता है। इसलिए ऐसी महिलाएं बहुत कमजोर हो जाती हैं और हाथ-पैर में दर्द, पीठ दर्द, चक्कर आना आदि समस्याओं से घिर जाती हैं।
निम्नलिखित उपचारों से ऐसी जटिलताओं को रोका जा सकता है।
चटनी
५ से ७ शीशम के पत्ते लेकर साफ कर लीजिए और चटनी बना लीजिए. अत्यधिक रक्तस्राव से छुटकारा पाने के लिए इस चटनी को हमेशा पानी के साथ लें।
शीशम के पत्ते खाने और ऊपर से पानी पीने से भी लाभ होता है।
इस औषध के एक बार प्रयोग से अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या से छुटकारा मिल सकता है। लेकिन मासिक धर्म के दिनो में ही इस प्रयोग को जारी रखें। यह प्रयोग दिन में केवल एक बार ही करें।
पिप्पल के पत्ते
दो से तीन चम्मच पीपल के पत्ते का रस लें। और इसमें मिश्री या शहद मिलाकर इसका सेवन करने से अत्यधिक रक्तस्राव की समस्या का निराकरण हो सकता है।
मासिक धर्म की अनियमितता या नहीं आना
कई महिलाओं को अनियमित या मासिक धर्म नहीं होता है। और अक्सर डेढ़ या दो महीने में आता है। निम्नलिखित उपचारों से इन समस्याओं को रोका जा सकता है।
काढ़ा
१ ५० ग्राम काले तिल
२ ५० ग्राम अदरक
३ ५० ग्राम अजमो
४ ५० ग्राम गाजर के बीज
उपरोक्त चारों जड़ी-बूटियों को लेकर बारीक पीस के चूर्ण बनालें।
एक गिलास पानी में एक चम्मच पाउडर डालकर उबाल लें। एक गिलास पानी उबलकर एक चौथाई पानी रह जाने पर इसे आग से निचे उतार दें।
इस पानी को एक साफ गिलास में छान लें और आवश्यकतानुसार देसी गुड़ डालें।इसे सुबह खाली पेट और रात को भोजन से एक घंटे पहले या भोजन के एक घंटे बाद नियमित रूप से 5 से 7 दिनों तक नियमित रूप से मासिक धर्म की अनियमितता को खत्म करने के लिए लें।
यह प्रयोग किसी भी समय शुरू किया जा सकता है जब मासिक धर्म पूरी तरह से बंद हो गया हो। और माहवारी शुरू होने पर इस प्रयोग को बंद कर दें।
आने वाले दिनों में मासिक धर्म के अनुसार यदि उस तिथि के दिनों में मासिक धर्म शुरू न हो तो इस प्रयोग को शुरू करें और मासिक धर्म आने पर बंद कर दें।
इस प्रकार सतर्कता और चोक्साई पूर्वक और प्रयास से ऋतुचक्र को नियमित किया जा सकता है। यह प्रयोग ५ से २० दिनों तक किया जा सकता है।
मासिक का न आना
कई महिलाओं का मासिक धर्म पूरी तरह बंद हो जाता है। साथ ही यह काफी परेशान भी रहती है। कई औषधियों और जड़ी-बूटियों का सेवन करने पर परिणाम कुछ भी न मिला हो तब निम्नलिखित जड़ी-बूटियों का विधि विधान से सेवन करके इस समस्या को दूर किया जा सकता है।
काढ़ा
१ ५० ग्राम बथुवा के बीज
२ ५० ग्राम गाजर के बीज
३ ५० ग्राम काले तिल
ऊपर बताई गई जड़ी-बूटियों को अलग-अलग लेकर उनका बारीक चूर्ण बनाकर अलग-अलग बोतलों में भर लें।
एक गिलास पानी में एक चम्मच गाजर के बीज का पाउडर, आधा चम्मच बथुवा के बीज का पाउडर और आधा चम्मच काले तिल का पाउडर मिलाएं।
फिर इस पानी को उबाल लें और जब पानी आधा रह जाए तो इसे छान लें और जरूरत के हिसाब से गुड़ लेकर अच्छी तरह मिला कर इसका सेवन करें.
यह काढ़ा सुबह नाश्ते से एक घंटे पहले या नाश्ते के एक घंटे बाद और इसी तरह रात के खाने के एक घंटे पहले या बाद में लेना चाहिए।
यह प्रयोग तब करें जब मासिक धर्म स्वाभाविक रूप से रुका हुआ न हो किन्तु इसके अलावा अन्य कारणों से मासिक धर्म बंद हो जाए तब यह प्रयोग करे। यह प्रयोग १० से ३० दिनों तक करें। इस औषध के सेवन से रुका हुआ मासिक धर्म शुरू हो जाता है और मासिक धर्म की अनियमितता नियमित हो जाती है। रक्तस्राव ज्यादा हो या कम वो नियमित हो जाता है।
परहेज
गर्म, बासी या अधिक मसालेदार भोजन न करें। ठंडा और फ्रीज की चीजों का सेवन न करें। साथ ही तली-भुनी और खट्टी चीजों का सेवन न करें। सेंधा नमक का प्रयोग करे। आचार, तैयार भोजन, फास्ट फूड, मेंदे की चीजे आदि का त्याग करें।