बांझ को पुत्रवती होनेका उपाय (योनिकंद)

बांझ को पुत्रवती होनेका उपाय (योनिकंद)

योनिकंद रोग, वायु, पित्त, कफ और त्रिदोष ऐसे चार प्रकार से होता है। जिस महिला को योनिकंद नामक बीमारी होती है, उसे मासिक धर्म नहीं होता है इसलिए वह बांझ हो जाती है। फिर भी, एसी महिलाओ को गर्भ रह सके और माँ बन सके ऐसा यत्न और उपचार करके नतीजे तक पंहुचा जा सकता है।

मासिक धर्म प्राप्त करने के लिए

जिन महिलाओं को मासिक धर्म नहीं हो रहा है, उन्हें (यदि मांसाहारी हो तब) मछली से बनाया खाना खिलाना।

मासिक धर्म के लिए ऐसी महिलाओं को राबड़ी का, उरद का, काले तिल का, आधा पानी मिश्रित हो ऐसी छाछ और ऐसा ही दही का सेवन कराना चाहिए।

बाती (पहेनने के लिए)

कटु दूधी भोपला बीज, शोधित जमालगोटा, पीपली, गुड़, मैनफल, शराब के तह में जमा कूड़ा ,और जवाखार। ये सब चीजे लेकर इसको थूहर के दूध के साथ पीस ले। इस मिश्रण में रुई से बनी बाती को भिगोके योनिमे पहनने से महिला मासिक धर्म में आती है।

दूधी भोपला
जमालगोटा
પીપર
पीपली
गुड़
मैनफल
जवाखार

पेय

मालकंगनी के पत्ते, खाने का सोडा, बच और विजयसार ये सबको लेकर ठंडे दूध में पीसके इसका सेवन करने से महिला को मासिक धर्म आता है।

मालकंगनी
खाने का सोडा
बच
विजयसार

कवाथ

15 दिन तक काले तिल, त्रिकटु, भारंगी और गुड़ का कवाथ बनाके इसका सेवन करने से स्त्री को मासिक धर्म अवश्य होता है और रक्त का थक्का (योनिकंद )बन जाने पर वह दूर हो जाता है और गर्भधारण की आशा निश्चित हो जाती है।

तिल
भारंगी

गर्भधारण

पेय

गंगेटी, अतीबला, मिश्री, मुलेठी, बरगद की जटा का अंकुर और नागकेसर। ये सभी औषधीया को शहद मे, दुध मे, और घी मे पीस के पिने से बांज से मुक्ति पाकर उसे अवश्य पुत्र की प्राप्ति होती है।

गंगेटी
अतीबला
मुलेठी
बरगद
नागकेसर

कवाथ

ऋतुकाल के दौरान अश्वगंधा का कवाथ बनाके सुबह गाय के दूध या घी के साथ नियमित रूप से इसका सेवन करने से महिला गर्भवती हो जाती है।

अश्वगंधा

पेय

सफेद बेंगनी की जड़ को शनिवार के दिन न्योता देना और पुष्पार्क योग में, कौवे के बोलने से पहले (सूर्योदय से पहले की क्षणों में), पूर्व की ओर मुंह करके इस जड़ को हर्षयुक्त होकर निकाल लेना।

बेंगनी

इस जड़ को कुंवारी कन्या के हाथो गाय के दूध में घोटवा (पीसवा) लेना।

यदि वह ऋतुकाल में उगते सूर्य के सम्मुख प्रसन्नचित्त और प्रफुल्लित मन से इसका सेवन करती है तो ऐसी स्त्री अपने पति के संयोग से अवश्य गर्भ धारण करती है।

पेय

पीले फूल वाले पीला पियाबांसा की जड़, धवई के फूल, बरगद की जटा का अंकुर और काले कमल इस सभी को लेके गाय के दूध में कूट ले और यदि इसे विधियुक्त पिया जाता है, तो महिला निश्चित रूप से गर्भवती होगी।

पीला पियाबांसा
धवई के फूल

चूर्ण

पारस पीपल की जड़ या उसके बीज, सफेद फूल का धमासा और जीरा इस सभी औषधिया ले के पीस के जो भी स्त्री इनका सेवन करती है और परहेज करके सुपाच्य भोजन करती है तब उसे अवश्य गर्भ रहता है।

पारस पीपल
धमासा
जीरा

पेय

इसमें कोई शक नहीं कि जो स्त्री गाय के दूध में पलाश के पत्ते को कूट के सेवन करती है, वह एक बलवान पुत्र को जन्म देती है।

पेय

वराहीकन्द (या कवांच की जड़) या कैठ का गर्भ या शिवलिंगी का बीज को गाय के दुधमे कूटपीस के सेवन करने से महिला गर्भवती हो जाती है।

वराहीकन्द
कवांच
कैठ
शिवलिंगी

दंही

गलगल के बीज को गाय के दूध में जमा ले।

इसमें गाय का घी मिला ले।

घी जितना नागकेसर का पाउडर डालें।

गलगल
नागकेसर

ऋतुकाल के दौरान 7 दिनों तक मिश्री मिला के 5 टांक वजन जितनी ये औषधि लेने से महिला गर्भवती होती है।

पेय

एरंडी के बीज का अंदरूनी गर्भ और गलगल के बीजों के बराबर अनुपात में लें और घी के साथ अच्छी तरह गूंद लें। ऋतुकाल के 3 दिनों में इसे गाय के दूध के साथ पीने से महिला गर्भवती होती है।

एरंडी

चूर्ण

पिपली, सौंठ, काली मिर्च, नागकेसर। ये सभी औषधीया लेकर कूटपीस के मासिक धर्म के बाद ३ दिन घी के साथ पिने से स्त्री पुत्रवती होती है।

સુંઠ
सौंठ
મરી
काली मिर्च

चूर्ण

मासिक धर्म के पहले दिन से लेकर 13 दिनों तक नागकेसर और जीरा बराबर मात्रा में लेकर नियमित रूप से 4 तोला गाय के घी के साथ (0.25 तोला) पा तोला इस औषध  का सेवन करने से और परहेज का पालन करने से पति का संयोग से अवश्य पुत्र प्राप्ति होती है।

  • परहेज :

  • दूध चावल से बना भोजन लेना। मनपसंद मीठा खाना का सेवन करना। भय, शोक, क्रोध, चिंता का त्याग करना। दिन में न सोएं। धूप में चलने, बहुत अधिक चलने, ठंड लगने या थकान महसूस करने से बचने की सलाह दी जाती है

आर्तव दोष

आर्तव दोष आठ प्रकार के होते हैं।

१          वात्तज

२          पित्तज

३          कफज

४          पूयाभ

५          कुणप

६          ग्रंथी

७          क्षीण

८          मलसम

1 वात्तज

  • इस प्रकार के आर्तव दोष में माहवारी पतली, रुक्ष, बहुत कम और हल्का श्याम रंग जैसी होती है।

२ पित्तज

  • इस तरह के पित्त से घिरा पित्तज आर्तव दोष में नीले या पीले रंग का, गंधयुक्त और योनि से जलन वाला मासिक धर्म होता हैं।

३ कफज

  • कफज आर्तव को स्लेष्म आर्तव भी कहा जाता है. स्लेष्म आर्तव दोषमे रज का रंग हल्का पीला, ढेलेदार और चिपचिपा होता है।

४ पूयाभ

  • इस प्रकार का आर्तव दोष में रज मवाद के समान होता है।

५ कुणप

  • इस प्रकार के आर्तव दोष में रज मलिन और मुर्दे जैसी ही गंध समान गंध धारण किया हुआ होता है।

६ ग्रंथी

  • ग्रंथि का अर्थ है थक्का हुआ, इस प्रकार के आर्तव में रज बहुत थक्का जेइसा स्राव निकलता है।

७ क्षीण

  • ऐसे दोष में रज (मासिक धर्म) बहुत कम मात्रा में आता है।

८ मलसम

  • इस प्रकार की दोषपूर्ण आर्तव में रज का रंग और गंध मलमूत्र के समान होते हैं।

योनि में खुजली/ दुर्गंध

काफी महिलाओं को योनि में खुजली या दुर्गंध की शिकायत होती है? योनि में ऐसी समस्या का मूल कारण गलत खाद्य पदार्थों का सेवन है।

यह समस्या पित्त युक्त आहार का सेवन, अधिक मात्रा में तैलीय पदार्थों का सेवन और खट्टे पदार्थों का अधिक सेवन करने से होती है।

यह समस्या तब भी होती है, जब महिलाएं अपनी दिनचर्या में मासिक धर्म के दौरान और बाद में योनि और योनि की स्वच्छता पर ध्यान नहीं देती हैं।

जिन महिलाओं को सफेद पानी के रोग (प्रमेह, प्रदर आदि) होता है, उन्हें इस समस्या से पीड़ित होने की संभावना अधिक होती है।

जो महिलाएं अश्लील फोटो या वीडियो देखकर उत्तेजित हो जाती हैं, उनकी योनि में चिकनाई आ जाती है या फिर योनि को उंगली से या ऐसा ही कुछ छूने से भीग जाती है। ऐसी परिस्थितियों में योनि की सफाई न करने पर भी यह समस्या हो सकती है।

उपचार

तैलीय भोजन तत्काल बंद करके सादा भोजन करें।

खट्टे खाद्य पदार्थों के साथ-साथ पित्त बढ़ाने वाले पदार्थों से भी बचें।

विचारों को शुद्ध रखना ताकि काम (जातीय आवेग) के वश में न रहना पड़े और खुजली के रोग का सामना न करना पड़े।

यदि प्रदर या प्रमेह रोग हो तो पहले उन रोगों का उपचार करें।

मासिक धर्म के दौरान और नियमित रूप से योनि की सफाई करना।

कामवश होकर (जातीय आवेग में आकर) अपनी योनि को अपनी उंगलियों या अन्य वस्तुओं से न रगड़ें।

दुर्गंध दूर करने का उपाय

50 ग्राम फिटकरी लें और इसे तवे पर गर्म करें। गर्म करने पर यह पानी जैसा हो जाएगा। ठंडा होने पर यह तवे में जम जाएगा। यह जमी हुई फिटकरी लें और इसका पाउडर बना लें।

इस फिटकरी के पाउडर को आधा चम्मच एक सूती कपड़े में लेकर छोटी सी गठरी कर लें। रात को सोते समय इस गठरी को योनि में रखने से कुछ ही दिनों में योनि से आने वाली दुर्गंध बंद हो जाएगी।

योनी संकोचन लेप

योनी संकोचन लेप (१)

पलाशऔर गूलर का फल के चूर्ण में तिल का तेल और शहद मिलाकर योनि में लगाने से कमजोर योनि सख्त हो जाती है।

पलाश का फल
गूलर का फल

योनी संकोचन लेप (२)

माजूफल और कपूर को मिलाकर पिस लें। फिर इसमें शहद मिलाकर योनि में लगाने से योनि दृढ़ हो जाती है। यह लोशन महिलाओं की योनि को जीवन भर गाढा और दृढ रखता है।

माजूफल
कपूर

स्तन का ढीलापन

प्रसव के बाद कई महिलाओं की शिकायत होती है कि उनके स्तन ढीले और निचे झुका हुआ सा हो जाते हैं।

यह समस्या स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी होती है, लेकिन ज्यादातर महिलाओं को लगातार कई प्रसव होते हैं, ऐसे में स्तन प्राकृतिक आकार और मजबूती को बरकरार नहीं रख पाते हैं।

इसके अलावा, कई महिलाएं गर्भपात करवाती हैं इसलिए स्तन अपना आकार और प्रकृति खो देंता है।

यहां तक ​​कि ऐसे मामलों में जहां कई महिलाओं का बार-बार गर्भपात होता है, स्तन अपना आकार खो देते हैं।

जैसे-जैसे शरीर का वजन बढ़ता है या शरीर की चर्बी बढ़ती है, शरीर मोटा और बेडौल होता जाता है और साथ ही स्तन भी अपना आकार बदल लेता है।

उपाय

मरहम

1     १०० ग्राम            फिटकरी

2     १०० ग्राम            कपूर

3     ०५० ग्राम           अनार का छिलका

फिटकरी
कपूर
अनार का छिलका

उपरोक्त तीनों चीजों को लेकर बारीक पीस के चूर्ण लें। अनार के छिलके को सुखा कर उपयोग में लाए। इस चूर्ण में आवश्यकतानुसार पानी मिलाकर अच्छी तरह गूंद लें और लेप बना ले।

इस पेस्ट को स्तन पर लगाएं और अंडरवियर पहनें जो की ढीले न हो। लेप  के सूखने तक लगा रहने दें और जब यह पूरी तरह से सूख जाए तब स्तन को पानी से धोकर साफ करें।

सुविधाजनक समय पर दिन में एक बार स्तन की सावधानीपूर्वक देखभाल करें।

चूर्ण

1     ५०  ग्राम            सौंठ

2     ५०  ग्राम            अश्वगंधा

3     ५०  ग्राम            विधारा

4     ५०  ग्राम            मिश्री

સુંઠ
सौंठ
अश्वगंधा
विधारा
मिश्री

उपरोक्त चारों जड़ी-बूटियों को लेकर इसका बारीक चूर्ण बना लें। इस चूर्ण को सुबह-शाम आधा चम्मच दूध या सादे पानी के साथ लिया जाता है।

इन दोनों दवाओं के नियमित सेवन से 8 से 10 दिनों में फर्क दिखाई पड़ता है।इस दवा के सेवन से स्तन में कड़कपन आके सुडौल और तंग हो जाते हैं।

यह दवा 30 से 90 दिनों तक ली जा सकती है। वहीं ऊपर बताए गए लैप को लगाने से बहुत जल्दी फायदा होता है।

अर्क

Arq zeera (hamdard)

नाश्ते के आधे घंटे बाद और रात के खाने के आधा घंटे बाद एक कप पानी में 2 चम्मच अर्क लें।

पाक

Saubhagyasunthi pak (bidhyanath)

एक से डेढ़ चम्मच दूध के साथ सुबह नाश्ते से पहले और रात के खाने से आधा घंटा पहले लें। दूध में मिश्री भी मिलाई जा सकती है।

मालिश का तेल

Olive oil (जैतून तेल) 50 ml

Narayan teil (नारायण तेल ) 100 ml

इन दोनों तेलों को मिलाकर स्तनों पर हल्की मालिश करें। दिन में दो बार इस मालिश के अच्छे फायदे मिलते हैं।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Ads Blocker Image Powered by Code Help Pro

Ads Blocker Detected!!!

We have detected that you are using extensions to block ads. Please support us by disabling these ads blocker.

Powered By
Best Wordpress Adblock Detecting Plugin | CHP Adblock
error: Content is protected !!