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प्रसव के रोग (प्रसूत रोग)

प्रसव के रोग (प्रसूत रोग) प्रसूत रोग (प्रसव के रोग) गर्भवती महिलाओं में यह बीमारी तब अधिक होती है जब वे बच्चे को जन्म देती हैं। इस रोग को सुवारोग भी कहते हैं। यह रोग तब होता है जब एक महिला प्रसव के बाद परहेज़ नहीं बरतती और गलत आहार लेती है, विपरीत प्रकार का […]

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प्रसव के बाद योनि में फोड़ा या दर्द का उपाय

प्रसव के बाद योनि में फोड़ा या दर्द का उपाय लेप दूधी भोपला के पत्ते और लोधरा को बराबर भाग में लेकर बारीक कुटके योनि पर लगाएं। इससे फोड़ा और दर्द तुरंत मीट जाता है। दूधी भोपला के पत्ते लोधरा लेप (२) एक कटोरी तिल के तेल में पलाश का फल और गूलर का फल

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प्रसव के दौरान होने वाले प्रसव पीड़ा का उपचार

प्रसव के दौरान होने वाले प्रसव पीड़ा का उपचार जब गर्भवती महिला के लिए जन्म देना बहुत मुश्किल हो, तब उसे सांप की काँचली और मैनफल को जलाकर योनि के आसपास उसका धुआँ दें। सांप की काँचली मैनफल गर्भवती स्त्री के हाथ-पैर में कलिहारी की जड़ को धागे  से बांधना। कलिहारी की जड़ हुलहुल की

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प्रदर

प्रदर भागदौड़ भरी जिंदगी में शरीर की देखभाल से ध्यान हट जाता है। सतत कार्यशीलता में भोजन के लिए अव्यवहारिक दृष्टिकोण से आगे बहुत कुछ भोगना पड़ता है और कई बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रदर होने के कारण गर्म भोजन, अनियमित आहार, विपरीत आहार, भोजन के बाद दूसरा भोजन, अपच, अत्यधिक सेक्स,

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नपुंसकता

नपुंसकता पौरुषेय रोग जिन रोगो को जातीय रोग में समाहित किया हुआ है ऐसा कुछ पौरुषीय से सबंधित रोगो के बारे मे यहां हम संक्षेप में जानने, समझने और गहराई से समाधान के बारे मे देखेंगे। ज्यादातर लोग जातीय समस्याओं का खुलासा नहीं करते हैं जिससे समस्या और बढ़कर बड़ा रूप ले कर सताती है।

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गर्भिणी का सुखप्रसव के लिए उपचार

गर्भिणी का सुखप्रसव के लिए उपचार गर्भवती महिलाओं को पहले, दूसरे और तीसरे महीने में मीठा, शीतल, और अधिक तरल हो एसा भोजन खाना चाहिए। तीसरे महीने से पका हुवा लाल चावल, चौथे महीने में चावल के साथ दही, पांचवें महीने में दूध के साथ चावल, छठे महीने में घी के साथ चावल भोजन के

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गर्भाशय में गांठ – रसौली

गर्भाशय में गांठ – रसौली बच्चेदानी की गाँठ यह प्रयोग इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए किया जा सकता है जब किसी महिला को गर्भ (भ्रूण थैली) में किसी प्रकार की सूजन, दर्द, गांठ या रसौली हो। काढ़ा 1   100 ग्राम             कचनाल (छाल) 2  100 ग्राम               गोखरू कचनाल

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अवांछित भ्रूण

गर्भावस्था को रोकने के नियम और उपाय गर्भ निरोधक नियम और उपाय मासिक धर्म के दिनों को छोड़कर, यानि की मासिक धर्म के ४ दिनों बाद 16 दिनों तक गर्भवती रह सकती है। इसलिए यदि इन दिनों में स्त्री और पुरुष दोनों द्वारा संयम बरता जाए तो गर्भवती होने की संभावना न के बराबर हो

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गर्भवती महिलाओं के लिए पालने का नियम

गर्भवती महिलाओं के लिए पालने का नियम गर्भवती महिलाओं को अपने भविष्य की संतानों के बारे में सकारात्मक सोचने और कुछ नियमों का पालन करने की आवश्यकता है। इसलिए गर्भावस्था के शुरुआती दिनों से ही जागरूक रहें। गर्भाधान के दिन से लेकर प्रसव के दिन तक इन नियमों का पालन करने से गर्भवती महिला को

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गर्भवती महिलाओं के रोगों का उपचार

गर्भवती महिलाओं के रोगों का उपचार हिबेरादी कवाथ (काढ़ा) जब भ्रूण का प्रचलन होता हो, तो प्रदर रोग हुवा हो, या पेट में दर्द होता हो तब खस, अतिविषा, नागरमोथा, सेमल का गोंद और इन्द्रजौ ये सभी औषधिया समान मात्रा में लेके इसका कवाथ बनाके सेवन करे। खस अतिविषा नागरमोथा सेमल का गोंद इन्द्रजौ बुखार

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