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स्वस्थ बने रहे और अन्यका प्रेरणा स्रोत बने

आपका स्वागत है । आप यहा है, यह इस बात का प्रमाण है की आप पूरा जन समुदाय के स्वास्थ्य की चिंता करते हो, आप समेत । आप योग्य स्थान पर है ये विश्वास रखिए । हर एक व्यक्ति का प्रथम फर्ज़ है की वो अपना “शरीर बीमारी से बचाए रखे” , वे इस समय ये भी ध्यान मे ले की उसकी आस पास का जीवन भी तंदूरस्त हो । क्यूकी आप अपनी खुशियो को उसिके साथ बाँट सकते है जो आप समान , याने तंदूरस्त हो । या फिर आप एसे सोच सकते है की, हमारा समाज कोई बीमार व्यक्तिके साथ केसे पेश आते है ? इसलिए स्वस्थ समाज के लिए हर एक व्यक्तिको स्वस्थ रहनेकी जरूरत है । इसी तरह हमे हर शहर , राज्यो, ओर देशोको खुश ओर तंदूरस्त एवं स्वस्थ बनानेका स्वप्न देखना चाहिए । हम चाहते है की हम आपका वो हर एक रंगीन स्वपनों मे रंग भर सके ।


हमारे साथ रहो

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kidney stones, urolithiasis, lithiasis, dysuria, पथरी, अश्मरी, मूत्रकृच्छ, પથરી, અશ્મરી, મૂત્રકૃચ્છ
पथरी (अश्मरी)

 

पथरी (अश्मरी) जो चार प्रकार से होती है। वात, पित्त, कफ और वीर्य की। ये पथरी कैसे बनती हैं और इनके लक्षण क्या हैं? साथ ही इसके उपायों के बारे में भी यहां विस्तार से चर्चा की गई है।

प्रत्येक 10 में से लगभग 1 व्यक्ति को अपने जीवनकाल में पथरी (अश्मरी) हो जाती है। यह एक वैश्विक प्रश्न है। लेकिन साधारण उपायों से इससे बचा जा सकता है।)

 


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मेदरोग (मोटापा)


दुनिया के अधिकांश देशों और विकसित देशों में नागरिकों के लिए सबसे बड़ा सवाल मोटापा, शरीर का बढ़ा हुआ वजन, तोंद, पसीना और पसीने की बदबू है। समस्या की जड़ अनुचित आहार और अनियमितता है। यह भी बताया गया है कि शरीर के मोटापन से कई अन्य बीमारियां हो सकती हैं और कभी-कभी मृत्यु भी हो सकती है। उम्मीद है कि यह लेख भारी शरीर वाले लोगों को स्वस्थ रहने में मदद करेगा।


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इस दुनिया के कई देशों में और बड़ी संख्या में दुर्बल और कमजोर लोग देखे जाते हैं। कभी उन्हें यह स्थिति उनके भाग्य से मिली है तो कभी स्वाभाविक रूप से।

लेकिन यहां हम शरीर के पतलेपन, कमजोरी और दुर्बलता के बारे में आयुर्वेद के दृष्टिकोण से इन समस्याओं के समाधान के बारे में जानेंगे जो सुरक्षित और बिना दुष्प्रभाव के है।


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કૃશતા, દુબળાપણું, कृशता, दुबलापना, thinness, Lean body.

पतलेपन के उपाय (दुबले शरीर को पुष्ट बनाने के लिए)


अपेक्षित गर्भावस्था

इस कॉलम में हम जानेंगे – गर्भ क्या है? उत्पत्ति, देखभाल और उपचार आदि के बारे में। इसके अलावा, गर्भ की देखभाल और थोड़ा पालन-पोषण के बारे में आयुर्वेद के विचारों की समझ।


मातृत्व की देखभाल

योनि में संक्रमण, व्रण, दर्द आदि प्रसव के बाद होते हैं, बच्चे को जन्म देने के बाद गर्भवती महिला को प्रसूतरोग हो जाता है जिसे सुवारोग भी कहा जाता है, और स्तन रोग भी होते हैं। इसके अलावा वात, पित्त, कफ या त्रिदोष से भी कई रोग हो सकते हैं। इस कॉलम में हम विभिन्न रोगों से बचाव के उपाय करने के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।


शिशु की देख – रेख

बच्चे के जन्म के बाद उसकी परवरिश और सेहत का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। बच्चे के जन्म से पहले और बाद में मां द्वारा खाए जाने वाले आहार का प्रभाव बच्चे पर पड़ता है। मां के आहार का पोषण मूल्य उसके दूध में निहित है। बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए स्तनपान बहुत महत्त्व पूर्ण है। अगर बच्चे को पालने में गलती हो जाती है तो इसका परिणाम बुरा हो सकता है। हम यहाँ बच्चे के साथ व्यवहार और बहुत कुछ जानने का यत्न करेंगे।


अवांछित भ्रूण

इस कॉलम में हम सीखेंगे कि एक मूढ़भ्रूण कैसे पैदा होता है। भ्रूण के रूखेपन से बचाव के उपाय कैसे करें और उपचार कैसे करें।


अस्वस्थ भ्रूण

यहां हमें यह जानने की कोशिश करनी चाहिए कि गर्भावस्था के दौरान भ्रूण या गर्भवती महिला को क्या समस्याएं हो सकती हैं और इससे कैसे बचा जा सकता है। इसके साथ ही हम यहां गर्भपात और गर्भपात से जुड़े मामलों की चर्चा भी देखेंगे। हम गर्भस्त्राव या गर्भपात को रोकने के लिए जागरूकता और बिना किसी दुष्प्रभाव के आयुर्वेदिक उपचार के बारे में भी जानेंगे।

स्वस्थ गर्भवती

अच्छे स्वास्थ्य को बनाए रखने के लिए और गर्भवती महिला को मां और बच्चे दोनों को स्वस्थ रखने के लिए विशेष नियमों का पालन करना चाहिए। यहां हम भ्रूण की रक्षा के लिए हर मास किए जाने वाले उपायों के साथ-साथ सामान्य प्रसव के उपाय और प्रसव के दौरान दर्द होने पर क्या करें, इसके बारे में जानेंगे।




स्त्रियों के रोग

 

ऐसा कहा जाता है कि एक महिला बच्चे को जन्म देने के बाद एक सम्पूर्ण स्त्री बन जाती है। उसका माँ बनना एक दिव्य इश्वरीय उपहार है। पीड़ित महिलाओं की मदद के लिए ऐसे समय में प्रयास किए गए हैं जब कई महिलाओं को माँ बनने और विभिन्न कारणों या दोषों के माध्यम से सामान्य जीवन जीने में कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है।


बाल रोग

प्रत्येक माता-पिता को अपने बच्चों को रोग मुक्त और सशक्त बनाने के लिए सावधान रहना चाहिए। बच्चों को मजबूत, बुद्धिमान और होनहार बनाने के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं। यहां हम स्तनपान कराने वाले शिशुओं में होने वाली बीमारियों जैसे मुंह के रोग, गले के रोग, त्वचा रोग, नेत्र रोग, गुदा संबंधी रोग, दस्त, बुखार, एनोरेक्सिया, दांत दर्द आदि के उपचार के बारे में जानेंगे।


गुदा मार्ग के रोग


गलत खान-पान, अनियमितता, जूठी आदते, और व्यसन अक्सर इस तरह के गुदा रोगों का कारण बन सकते हैं। थोड़ी सी सावधानी से इस बीमारी से बचा जा सकता है। हालांकि, अगर किसी कारणवश इनमें से कोई एक बीमारी हो जाती है, तो हम इससे छुटकारा कैसे पाए इसके तरीके के बारे में सविस्तार से जानेंगे।

मधुमेह


मधुमेह जिसे हम डायबिटीस के नाम से जानते हैं। इस बीमारी के बारे में तो सभी जानते हैं लेकिन इसकी गंभीरता से अनजान हैं। मधुमेह आमतौर पर सभी देशों में फैल गया है एसा जाना जाता है। यहां हम जानेंगे कि अगर आपको यह बीमारी है  और अगर ये बीमारी आने की संभावना है, तब इसके लिए क्या करें और इसके कुछ इलाज के बारे में जानेंगे।

हृदय रोग


पूरी दुनिया में फैल चुकी इस दिल की बीमारी जिसे हम ह्करदयरोग के नाम से जानते है, ये बीमारी कभी-कभी इतनी घातक साबित होती है कि मरीज को अपनी जान गंवानी पड़ती है। यह रोग पांच प्रकार का होता है जिसकी चर्चा हम यहां करेंगे और इसके उपचार देखेंगे। उम्मीद है कि यह लेख कई लोगों में जाग्रति लाएगा और उन्हें फायदा भी पहुंचाएगा।


महिलाओं की गुप्त बीमारियां


यहां हम उन समस्याओं के बारे में जानेंगे जो महिलाओं को पीड़ित करती हैं, जिससे उनके लिए एक सामान्य और प्रसन्नता पूर्वक जीवन जीना मुश्किल हो जाता है, साथ ही उन समस्याओं का निराकरण के बारे में जानेंगे जो उनके निजी वैवाहिक जीवन को प्रभावित करती हैं।

हम मासिक धर्म सबंधित और योनि सबंधित कुछ दोषों से उत्पन्न होने वाली बीमारियों और उनका इलाज करके सामान्य जीवन कैसे व्यतीत करें, इसके बारे में भी आवश्यक जानकारी प्राप्त करेंगे।


पुरुषों की गुप्त बीमारियां


 

हम यहां पुरुषों में पाए जाने वाले जननांग रोगों जैसे नपुंसकता, लिंग के रोग, यौन समस्याओं आदि के बारे में विस्तृत चर्चा देखेंगे। हम यह भी सीखेंगे कि पुरुषों में होने वाले विभिन्न जननांग रोगों और समस्याओं से कैसे बचा जाए।

हम उनके साथ उत्पन्न होने वाली समस्याओं के समाधान और उपायों के बारे में जानेंगे ताकि वे अपना जीवन खुशी से जी सकें।

बुखार (ज्वर)


आयुर्वेद में आठ प्रकार के बुखार के बारे में बताया गया है और साथ ही शरीर और मन को प्रभावित करने वाली चीजों के कारण होने वाला बुखार भी है। बुखार होना आम बात है लेकिन अगर समय रहते ठीक से इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है। यहाँ पाठकों को बुखार के लिए अमूल्य जानकारी और उपचार प्रदान किया जाता है।

त्वचा के रोग


त्वचा के रोग आजकल आम होता जा रहा है। इसका कारण है , दूषित पानी का सेवन और साथ ही दूषित, बासी और गैर-जरूरी खाद्य पदार्थों का सेवन । अगर इस मुश्किलोसे बचना हो तो , पहले गलत खाने की आदतों को ठीक करें और एक नियमित जीवन क्रम और उचित उपचार स्थापित करें ।

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